पंखियों को उड़ने दो ,
पानीओं को बहने दो ,
आंसुओं को कहने दो ,
कहने दो कोई कथा
अवयस्क कोई व्यथा
पीर किसी नांव की
पीर किसी ठांव की
पीर किसी नांव की
पीर किसी ठांव की
ओढते बिछाते हुए
दर्द को सुनाते हुए
कसमसा कसमसा
अश्रु है कोई रुका
अश्रु वो न बहने दो
बात कोई कहने दो
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भूख की आ बात कर
प्यास के आ गीत गा
ख़ाली ख़ाली हाथ हैं तो
कुछ तू कह कुछ सुन आ
बीती बात भूख हो
घिसा सा गीत प्यास हो
छलावों के इस देश मैं
न किसी भी मन को त्रास हो
त्रासदी मिटा मिटा
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पंखियों के पर कटे
पानियों के स्वर बटे
बालियों के घटे दाम
आसुओं में सुबह-ओ-शाम
लम्बी लम्बी रात जो
दूर प्रभात जो
दीप आस के जगा
मेरे साथ साथ गा
पंखियों को उड़ने दो ,
पानीओं को बहने दो ,
आंसुओं को कहने दो ,
कहने दो कोई कथा
अवयस्क कोई व्यथा
पीर किसी नांव की
पीर किसी ठांव की
दीप जीरवी
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deepzirvi9815524600
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